यू चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो,
मोर,चकोर,पपीहा,कोयल सबको मात करो..
सावन तो मन-बगिया से बिन बरसे बीत गया ,
रस मैं डूबे नगमे की अब तुम बरसात करो …
हिज्र की एक लम्बी मंजिल को जानेवाला हू अपनी यादो ले
यू चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो,
मोर,चकोर,पपीहा,कोयल सबको मात करो..
सावन तो मन-बगिया से बिन बरसे बीत गया ,
रस मैं डूबे नगमे की अब तुम बरसात करो …
हिज्र की एक लम्बी मंजिल को जानेवाला हू अपनी यादो ले
जून 14, 2008 को 2:51 अपराह्न
यू चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो,
मोर,चकोर,पपीहा,कोयल सबको मात करो..
सावन तो मन-बगिया से बिन बरसे बीत गया ,
रस मैं डूबे नगमे की अब तुम बरसात करो …
हिज्र की एक लम्बी मंजिल को जानेवाला हू अपनी यादो ले
अगस्त 23, 2008 को 12:17 पूर्वाह्न
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