पति पत्नी और अटल जी की बातें

काफी दिन से सोच रहा था कुछ चुटकुला लिखूं | कल मेरे १ मित्र ने मुझसे कहा भी की आज कल चुटकुले नही लिख रहे हो |
मुझे यह जानकर काफी खुशी हुई की लोग मुझे याद करते हैं भले ही हंसने के बहाने | आपलोगों के लिए मैं इसी तरह लिखता रहूँ और आप मुझे अपने कमेंट से मुझे मेरे बारे मी बताते रहे |

तो अब मैं आ गया कुछ चुटकुलों के साथ |

[1]

पति-पत्नी आपस में बातें कर रहे थे।
पति – ”मेरे लिये 11 का अंक हमेशा ही शुभ रहा है। 11वें महीने की 11 तारीख को 11 बजे हमारी शादी हुई। हमारे मकान का नंबर भी 11 है। एक रोज मुझे 11 बजकर 11 मिनिट और 11 सेकण्ड पर किसी ने बताया कि आज बड़ी रेस होने वाली है। मैंने सोचा कि मेरे लिये 11 के नम्बर में जरूर चमत्कार छिपे हुये हैं, मैं गया और 11वें नम्बर की रेस के लिये 11 वें घोड़े पर 11 हजार रूपये लगा दिये।”
पत्नी – ”और घोड़ा जीत गया ?”
पति – ”यही तो रोना है! कम्बख्त 11वें नम्बर पर आया!”

आँखों का इलाज

    अगर आप को अपने ऑंखें पर ज्यादा यकीन हो तो आप १ बार इस तस्वीर के बीच के पॉइंट को ध्यान से देखें |यदि आप इस पॉइंट को १ मिनट तक लगातार देख सकते हैं तो आपकी ऑंखें यकीनन बहुत अच्छी हैं !नहीी तो आप अपने आँखों के बारे मे राय कमेंट के रूप में दे सकते हैं |

आँखों का इलाज

धन्यवाद

लड़के लडकी के बातें

[1] 
लड़का: चलो कि
सी वीरान जगह चलते हैं!
लडकी: तुम ऐसी-वैसी हरकत तो नही करोगे?
लड़का: बिल्कुल नही!
लडकी: तो फिर रहने दो…

लडकी लड़का और मैं

[1]             

             एक बार एक बार मैं और मेरे कुछ मित्र  देल्ही से ताज महल देखने गए ! मेरे मित्रों को  ताज महल बहुत पसंद आया ! उन्होंने निर्णय किया की ताज को धकेलकर देल्ही ले जायेंगे ! सब मिलकर ताज को पुश कराने लगे ! धीरे धीरे उनको पसीना आने लगा तो सबने अपने अपने शर्ट उतरकर पीछे रखे और वापस पुश करने लगे !
थोडी देर में वहाँ एक चोर आया उसने देखा की हम सब व्यस्त हैं ! चोर सब कपड़े उठा के  भाग गया ! जैसे अँधेरा होने लगा , हम सब अपने शर्ट खोजने लगे ! इतने में मैं एकदम खुश हुआ और चिल्लाने लगा …….. ..

अरे देखो दोस्तों हम ताज को कितना दूर ले आये , यहाँ से तो हमारे कपड़े भी नही दिख रहे हैं

[2]

लडकी : क्या तुम मुझे शादी के बाद भी इसी तरह प्यार करोगे ,
लड़का : हाँ अगर तुम्हारा पति इजाजत देगा तो  …

मैं नही तो चैन से तू भी नही रहा

दोस्तों , मैं आपके सामने एक नज़म पेश कर रहा हूँ | उम्मीद करता हूँ की आपको पसंद आएगी ये नज़म मेरे किसी ख़ास दोस्त के लिए है …Hand Shaked

ज़िंदगी की भीड़ में के अजनबी मिला ,
फिर पास आया मेरे और ज़िंदगी बना !

कुछ दिन तो मेरे साथ चला दोस्त बनके वो ,
फिर भी हर मोड़ पर कुछ फासला रहा !

जिसका हुआ तुझे कभी एहसास तक नही ,
वो दर्द हमने ज़िंदगी का बेइन्तहा सहा !

इए दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूँ मैं ,
गर मैं नही तो चैन से तू भी नही रहा !

पलक जब झपके आए सामने तेरा चेहरा

आज भी पलक जब झपके
आए सामने तेरा चेहरा
तुम क्या गई हो ज़िंदगी से
हो गया हूँ और भी तनहा

तुम्हारी वो हँसी
अब भी याद आती है
वो पहली मुलाक़ात
मुस्कान छोड़ जाती है !

तुम्हारी बातों के वान
दिल में अब तक मचला करते हैं
क्यों दिल की बात न कह सके
अपने आप से शिकायत करते हैं !

बेवफाई का दाग तुम्हे देके
अपने आप को बचाना चाहते हैं
लफ्जों के बानों से हम
मोहोब्बत इन्तेहा जताना चाहतें हैं !

केवल “ P ” के याद में

हर पल आती रह तेरी याद

एक मुद्दत हुई दिल को सताती रही तेरी याद
आंसू बन लहू में घुल जाती रही तेरी याद

सुबह को लालिमअ बन छा जाती रही तेरी याद
धुप में साया बन साथ चलती रहi तेरी याद

दोपहर छाया बन तासीर दिलाती रही तेरी याद
शाम को हवा का झोन बन लुभाती रही तेरी याद

रात के अँधेरे में जुगनू बन चमकती रही तेरी याद
आसमान में तारों संग टीम टीम आती रही तेरी याद

चांदनी बन ज़मीं को नहलाती रही तेरी याद
रोज़ ख्वाब बन तेरी दीद कराती रही तेरी याद

गर्मी में हवा का झोंका बन आ जाती रही तेरी याद
इन्द्रधनुष के रंगों में रंग जाती रही तेरी याद

सर्दी में खिली धुप सी चमकती रही तेरी याद
पहाडों पर बर्फ बन बिछ जाती रही तेरी याद

फूलों पर तितली बन मंडराती रही तेरी याद
हवा को खुशबू बन महकाती रही तेरी याद

बेलों को सहारा बन बढाती रही तेरी याद
बागों को बहार बन सजाती रही तेरी याद

होली में गुलाल बन रंग उडाती रही तेरी याद
दिवाली में चिराज बन उजाले फैलाती रही तेरी याद

ईद में चाँद बन खुशियाँ लुटती रही तेरी याद
च्रिस्त्मस में संता बन तोहफे बांटी रही तेरी याद

थक गया तो दिल बहलाने आ जाती रही तेरी याद
चोट खाई तो सहलाने आ जाती रही तेरी याद

रूठ गया तो मनाने आ जाती रही तेरी याद
गिर गया तो उठाने आ जाती रही तेरी याद

सोने चला तो लोरी सुनाने आ जाती रही तेरी याद
रोने लगा तो हँसाने आ जाती रही तेरी याद

जीत गया तो जश्न मनाने आ जाती रही तेरी याद
हार गया तो समझाने आ जाती रही तेरी याद

महफ़िल में रौनक बन छा जाती रही तेरी याद
तन्हाई में साथ निभाने आ जाती रही तेरी याद

मेरे हर ज़र्रा -ओ -कतरे में बसी हुई हुई तेरी याद
मेरी ग़ज़ल से रूह तक उतर रही है तेरी याद

मौत के बाद भी “खाक ” से न जुदा होगी तेरी याद
ख्श्बू बन हर तरफ फिजा में महका करेगी तेरी याद

आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है

मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे ,
आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है

सर, हमें हंसाओ न

यह आदर्श वाक्य ठीक भी हो सकता है कि आदमी को ठोंक-ठांक कर ठीक-ठाक बनाने में इसी धरती के महापुरूषों का ब़डा योगदान रहता आया है। परंतु इस आदर्श वाक्य का एक दूसरा पहलू भी है। यह पहलू सोचनीय है और इस प्रश्न पर आकर अटक जाता है कि क्या इसी को ‘ठीक-ठाक’ करना कहते हैं? इस सन्दर्भ का एक नमूना प्रस्तुत है।

भाई चिमनलाल ने एम.ए. की डिग्री कमा रखी है।भगवान करे, उसकी डिग्री सलामत रहे। इसी डिग्री के बूते वह टीचर है। उसके हिसाब से तनख्वाह अच्छी नहीं है और इर्द-गिर्द और भी बहुत कुछ अच्छा नहीं है। मसलन, चांद का मुंह टेढ़ा है, सूरज फीका है, धरती दोगली है, राजनीति खोखली है, आदि-आदि। विद्यार्थियों के सामने ख़डा होकर पढ़ाना उसका काम है, इसलिए यह दुनिया उसके लिए और भी अच्छी नहीं है। परन्तु क्या करे, तनख्वाह के लिए इस दुनिया का सामना तो करना ही प़डता है। उसका दावा है कि विद्यार्थियों को पढ़ाना सहज नहीं है। गंभीर शिक्षण पद्धति से विद्यार्थियों को पढ़ाना सहज नहीं है। गंभीर शिक्षण पद्धति से विद्यार्थियों के साथ जु़डना चाहते तो वे कुछ ग्रहण नहीं कर पाऍंगे और टीचर ने नाते अपनी हालत पागल से भी बदतर होती जाएगी।