पलक जब झपके आए सामने तेरा चेहरा

आज भी पलक जब झपके
आए सामने तेरा चेहरा
तुम क्या गई हो ज़िंदगी से
हो गया हूँ और भी तनहा

तुम्हारी वो हँसी
अब भी याद आती है
वो पहली मुलाक़ात
मुस्कान छोड़ जाती है !

तुम्हारी बातों के वान
दिल में अब तक मचला करते हैं
क्यों दिल की बात न कह सके
अपने आप से शिकायत करते हैं !

बेवफाई का दाग तुम्हे देके
अपने आप को बचाना चाहते हैं
लफ्जों के बानों से हम
मोहोब्बत इन्तेहा जताना चाहतें हैं !

केवल “ P ” के याद में

हर पल आती रह तेरी याद

एक मुद्दत हुई दिल को सताती रही तेरी याद
आंसू बन लहू में घुल जाती रही तेरी याद

सुबह को लालिमअ बन छा जाती रही तेरी याद
धुप में साया बन साथ चलती रहi तेरी याद

दोपहर छाया बन तासीर दिलाती रही तेरी याद
शाम को हवा का झोन बन लुभाती रही तेरी याद

रात के अँधेरे में जुगनू बन चमकती रही तेरी याद
आसमान में तारों संग टीम टीम आती रही तेरी याद

चांदनी बन ज़मीं को नहलाती रही तेरी याद
रोज़ ख्वाब बन तेरी दीद कराती रही तेरी याद

गर्मी में हवा का झोंका बन आ जाती रही तेरी याद
इन्द्रधनुष के रंगों में रंग जाती रही तेरी याद

सर्दी में खिली धुप सी चमकती रही तेरी याद
पहाडों पर बर्फ बन बिछ जाती रही तेरी याद

फूलों पर तितली बन मंडराती रही तेरी याद
हवा को खुशबू बन महकाती रही तेरी याद

बेलों को सहारा बन बढाती रही तेरी याद
बागों को बहार बन सजाती रही तेरी याद

होली में गुलाल बन रंग उडाती रही तेरी याद
दिवाली में चिराज बन उजाले फैलाती रही तेरी याद

ईद में चाँद बन खुशियाँ लुटती रही तेरी याद
च्रिस्त्मस में संता बन तोहफे बांटी रही तेरी याद

थक गया तो दिल बहलाने आ जाती रही तेरी याद
चोट खाई तो सहलाने आ जाती रही तेरी याद

रूठ गया तो मनाने आ जाती रही तेरी याद
गिर गया तो उठाने आ जाती रही तेरी याद

सोने चला तो लोरी सुनाने आ जाती रही तेरी याद
रोने लगा तो हँसाने आ जाती रही तेरी याद

जीत गया तो जश्न मनाने आ जाती रही तेरी याद
हार गया तो समझाने आ जाती रही तेरी याद

महफ़िल में रौनक बन छा जाती रही तेरी याद
तन्हाई में साथ निभाने आ जाती रही तेरी याद

मेरे हर ज़र्रा -ओ -कतरे में बसी हुई हुई तेरी याद
मेरी ग़ज़ल से रूह तक उतर रही है तेरी याद

मौत के बाद भी “खाक ” से न जुदा होगी तेरी याद
ख्श्बू बन हर तरफ फिजा में महका करेगी तेरी याद

एक बार जीने के लिए सौ बार मरे है हम

एक बार जीने के लिए सौ बार मरे है हम
एक मुसकुराहट के लिए कितना सिसका यह गम
यह जीवन जलता जलता भी नहीं
कितना जलया इसने हर दम
एक लमहा जो छुप गया आसमान तले
ढूँढते फिर रहे हैं बस उमर भर से हम
मेरी खामोशियाँ बन गई मेरे  गुनाह
हर पल नया गुनाह करता रहा यह मन
उम्मीद की यह लौ क्यों नहीं बुझती
थम गयी जब यह सासों की सरगम
किस तरफ़ जा रहा हूँ ,क्यों जा रहा हूँ
कोइ बता दे मुझे कहाँ ले जायेंगे यह कदम
अपनी मजबूरिओं से नराज़ है यह दिल
मजबूरियों के लिए उठाये गए ज़िंदगी तेरे सितम
आँसू में भीगा यह मन यह आँचल
इक हँसी की चाह मैं अब तक आंखें हैं यह नम !!!!!!!!!!!!

लव के रूप | मैं प्यार करती

मैं तुमसे बहूऊऊऊऊऊऊत् प्यार करती हूँ .
मैं कुछ भी नहीं तुम्हारे बिना !
मुझमे क्या कमी है की वो प्यार नहीं करती !
मैं तुम्हे पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ !
मैं तुमपे जान देती हूँ , क्या तुम्हे एक बार भी मुझसे लव नहीं हुआ ,क्या तुमने एक पल के लिए भी मुझसे प्यार नहीं किया ?
क्या तुम कभी लाइफ में एक बार मुझे याद करोगे ?
क्या तुम्हे कभी लगेगा की मैं तुम्हारे लिए सही था ?
तुम्हे मुझसे अच्छा कोई नहीं मिल सकता दुनिया में , तुम्हे मुझसे ज्यादा प्यार करने वाला नहीं मिल सकता
अगर मैंने इतनी मेहनत इतने दिल से भगवान् को बुलाया होता , तो वो मेरे पास आ जाते !
तुम्हे मैं बहुत खुश रखूँगा !
मैं हर वक्त ये ही सोचता हूँ की इस वक्त तुम क्या सोच रहे होगे , कैसा फील कर रहे होगे !
मैं तुम्हे हर पल मिस करती ह
जब तुम मेरे पास होती हो , उस पल मैं बहुत खुश रहता ह !
मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ !
तुम अगर मिल जाओ , तो मैं दुनिया बदल सकता हूँ
मैं तुम्हारी साँसे फील कर सकती हूँ
क्या तुम्हे मुझपे बिल्कुल तरस नहीं आता ? इतना मत तडपाओ , की एक दिन मुझे अपने आपसे नफरत हो जाए !
तुम इतना मना मत करो मुझे , इतना इग्नोर मत करो मुझे , की मैं तुमसे नफरत करने लगूँ एक दिन
एक बार मेरी आंखों में देखो , क्या तुम्हे एक पल भी नहीं लगता की मैं प्यार करती / करता हूँ
क्या मेरी आंखो में तुम्हे प्यार नहीं दिखता ?
हम कई जन्मों से साथ साथ हैं
काश तुम समझ सकते मुझे

मोहब्बतें – उनकी मोहब्बत बढ़ी और दुनिया से खुशी कम होती रही

अलबामा में 53 साल पहले पैदा हुई थी, इसी माह की किसी तारीख को। उत्तरी अमेरिका के इस हिस्से में आज भी जातीय भावनाएं कायम हैं, तब तो वहां काले लोग अछूत ही माने जाते थे। वे बसों में पीछे ही बैठ सकते थे, उनके रेस्टोरेंट्स अलग थे। उसने भी सहा। सर्कस देखने गई तो बाहर कर दी गई, होटल में रूम नहीं मिला, यही नहीं, डिपार्टमेंटल स्टोर में कपड़े खरीदे तो उसे फिटिंग चेक करने के लिए ट्रायल रूम में नहीं स्टोररूम में जगह मिली (ट्रायलरूम में सिर्फ गोरे जा सकते थे)। 1963 में उसके साथ जो घटना हुई, आज तक नहीं भूली वह। कालों को निशाना बनाकर बमिंघम चर्च में हुए बम विस्फोट में उसकी दोस्त समेत चार काली लड़कियां मारी गईं। उसने भी धमाके देखे और सुने। वह कहती है, उस दृश्य और आवाज को मैं कभी न भूल पाऊंगी। लेकिन वह नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली इंसान न बन सकी। उसका पारिवारिक बैकग्राउंड कानफर्मिस्ट नेचर का था। उसने अपना ध्येय बनाया खूब मेहनत करना और गोरों से दोगुना बेहतर बनना। पिता ने मंत्र दिया कि व्यवस्था से टकराओ नहीं, मेहनत करो, आगे बढ़ो और व्यवस्था का फायदा उठाओ।
उसने यही किया। तीन साल की उम्र से फ्रेंच सीखना शुरू किया। स्केटिंग उसका पसंदीदा गेम था और बैले अपनी भावनाओं को विस्तार देने का साधन। वायलिन बजाना उसे अच्छा लगता था और वह चाहती थी अच्छी वायलिनवादक बने लेकिन इससे जीवनयापन मुश्किल था सो उसने इरादा बदला। जब यूनिवसिर्टी पहुंची, कोल्ड वार में रुचि बढ़ी और फिर सोवियत संघ पर एक लेक्चर सुना तो राह ही बदल गई। उसने मिलिटरी डाक्टराइन और चेकोस्लोवाकिया पर पीएचडी की और पहुंच गई स्टैनफोर्ड यूनिवसिर्टी में पढ़ाने। वहां वह रिपब्लिकन हो गई और मौका मिला अमेरिकी राष्ट्रपति को सोवियत मामलों पर सलाह देने का।
उसकी मुलाकात राष्ट्रपति के बेटे से हुई। दिन निकलते रहे। राष्ट्रपति के बेटे के सितारे बुलंद हुए और साथ ही उसके भी। उसने न शादी की और न मोहब्बत का इजहार (शायद)। हां एक बार गलती से राष्ट्रपति के बेटे को अपना हसबैंड जरूर बोल गई, जाने कैसे। लेकिन बुलंद सितारों के साथ ही शुरू हुई असफलताओं की कहानी। 9/11 से शुरू होकर यह सफर आज भी जारी है। अफगानिस्तान, इराक और अब ईरान इसी मोहब्बत की गर्माहट में झुलस रहे हैं और साथ में पूरी दुनिया।
वह बताती है कि जब मैं चार साल की थी, मेरे पिता ने मेरी एक फोटो ली थी जिसमें मैं सांताक्लाज की गोद में थी और यकीन करिए फोटो में मेरे चेहरे के भाव दूरियों वाले थे क्योंकि मैं कभी किसी गोरे के इतने करीब पहले कभी नहीं गई थी। लेकिन अब उसके चेहरे पर आश्वस्ति के भाव दिखाई देते हैं। आज भी वह अच्छी वायलिन बजाती है।

तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दूँ

तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दूँ ,
अपने दोस्त को क्या उपहार दूँ ,
कोई अच सा फूल होता तो माली से मंगवाते ,
जो ख़ुद गुलाब है उनको क्या गुलाब दूँ !